शानदार टूरिस्ट प्लेस

अमूमन, जेल किसी भी कैदी को बंद रखने के लिए होती है, लेकिन यह सुनना थोड़ा आश्चर्यजनक है कि टूरिस्ट जेल भी हो सकती है। जी हां! भारत में ऐसा है, जहां कई टूरिस्ट जेलें हैं, जहां आप बिना किसी जुर्म के पर्यटक के रूप में भी जा सकते हैं। एक जेल तो ऐसी भी है जहां आप एक दिन के लिए कैदियों का जीवन भी बिता सकते हैं। ये जगहें अपने इतिहास और रोचक कहानियों के लिए जानी जाती हैं। यहां स्वतंत्राता संग्राम कीकई कहानियां आपको जानने को मिलेगी, इसके साथ ही किन लोगों ने देश को आजाद करने में सहयोग दिया था, ये भी जानने को मिलेगा। सेल्यूलर जेल, पोर्ट ब्लेयर -यह जेल काला पानी के नाम से भी मशहूर है, जिसके साथ भारत के स्वतंत्राता संग्राम का इतिहास जुड़ा है। यहां आपको स्वतंत्राता सेनानी बटुकेश्वर दत्त और वीर सावरकर की वीरता के

बारे में जानने को मिलेगा। अब यह जेल पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है, यहां उनके लिए हर रोज शाम को लाइट और म्यूजिक शो का आयोजन किया जाता है। यहां आप सोमवार से शुक्रवार को सुबह 9 बजे से लेकर शाम के 5 बजे तक घूमने आ सकते हैं।

यरवदा जेल, पुणे, महाराष्ट्र -साउथ एशिया की सबसे बड़ी जेल यरवदा भारत के इतिहास में खास महत्व रखती है। सन 1831 में यह ब्रिटिश शासकों द्वारा बनवाया गया था, जहां कई स्वतंत्राता सेनानियों ने अपने जीवन के संघर्षपूर्ण पल बिताए थे, जिनमें महात्मा

गांघी, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, जवाहरलाल नेहरू और बाल गंगाधर तिलक शामिल हैं। यहां पर गांधी और तिलक के नाम पर बना फांसी कक्ष भी मौजूद है।तिहाड़ जेल, दिल्ली -तिहाड़ को भारत का सबसे बड़ा जेल बताया जाता है। इस जेल में रहने वाले कैदी तिहाड़ ब्रैंड के नाम से कई प्रोडक्ट भी बनाते हैं, जिन्हें बाजार में बेचा जाता है। पर्यटकों को यहां पर कैदी कई तरह के काम करते नजर आ सकते हैं, जिसमें, सिलाई, बुनाई, कढ़ाई, पेंटिंग शामिल है। यहां कैदियों को व्यस्त रखने के लिए और उनके जीवन को सुधारने के लिए कई कार्य करवाए जाते हैं। संगारेड्डी जेल, हैदराबाद -यह सालारजंग के समय बनी 228 साल पुरानी जेल है जो हैदराबाद में स्थित है। अब इसे संग्रहालय में बदल दिया गया है। इस जेल का निर्माण 1796 में करवाया गया था। अब यह पर्यटकों के मनोरंजन के लिए संग्रहालय के रूप में खोल दिया गया है, जहां पर आप ‘थ्ममस ज्ीम रंपस’ स्कीम के तहत जेल घूमने का मजा ले सकते हैं। इस योजना के तहत आप 500 रुपये जमा कर 24 घंटे के लिए जेल जीवन का अनुभव प्राप्त कर सकते हैं। वाइपर द्वीप, अंडमान -यह सेल्यूलर जेल उतना पॉपुलर तो नहीं है, लेकिन भारत के प्राचीन इतिहास से इसकी कई कहानियां जुड़ी हैं, जो उस

वक्त के शासक के खिलाफ आवाज उठाने की कोशिश करता था, उसे यहां सजा के लिए भेजा जाता था। अब इस द्वीप को आम जन के लिए खोल दिया गया है, लेकिन इसकी हरी भरी वादियों में अब भी कई कहानियां छुपी हुई हैं। बांकीपुर जेल -पटना जंकशन रेलवे स्टेशन के सामने स्थित  ब्रिटिशकालीन बांकीपुर केंद्रीय जेल जहां भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद समेत स्वतंत्राता संग्राम के कई प्रमुख राष्ट्रीय नेता बंदी रह चुके हैं, आज वह बुद्ध स्मृति पार्क के रूप में विकसित हो चुका है। इसके बीचोबीच 200 फुट ऊंचा

पाटलिपुत्रा करुणा स्तूप है। सके अंदर बुद्ध के पवित्रा राख का पात्रा रखा हुआ है। हालांकि 22 एकड़ में फैली बांकीपुर जेल के एक छोटे से हिस्से में ही पार्क बना है। अब यह केंद्रीय कारा शहर के बाहरी हिस्से में स्थित बेउर में स्थानांतरित कर दिया गया है।

बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह स्वतंत्राता सेमानी संग्रहालय -झारखंड की राजधानी रांची की पुरानी सेंट्रल जेल जहां स्वतंत्राता संगाम के दौरान आदिवासी जननायक बिरसा मुंडा ने कैद काटी थी, जो 1857 के संग्राम के नायक ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव, राजा अर्जुन सिंह, पांडेय गणपत राय, सिद्धू-कान्हो जैसी वीर विभूतियों के शौर्य का गवाह रही थी उसे 2021 में बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह स्वतंत्राता सेनानी संग्रहालय में परिणत कर दिया गया है। 15 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्रा नरेंद्र मोदी ने इसका उद्धाटन किया था। यहां प्रथम और द्वितीय स्वतंत्राता संग्राम से संबंधित धरोहर दर्शनार्थ रखे हुए हैं। इतिहास में रुचि रखने वाले पर्यटक यहां उस काल काल

की अनुभूति कर सकते हैं। वर्तमान में केंद्रीय जेल होटवार में स्थांतरित कर दी गई है।

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