कैसा है पोर्ट ब्लेयर

आज पोर्ट ब्लेयर एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल में बदल गया है और सेल्यूलर जेल राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा पा चुका है। अब यह प्राकृतिक विद्रूपता का भयावह चित्रा नहीं प्रकट करता। बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य की अद्भुत झांकी प्रस्तुत करता है। आज का पोर्ट

ब्लेयर एक ऐसा शहर है जहां पर्यटकों के लिए आकर्षण के केंद्र भरे पड़े हैं। इसमें कई संग्रहालय हैं। आवागमन के लिए रेल, वायुयान और बसों की सुविधा है। यहां का एबरडीन बाजार शहर के बीचोबीच स्थित है। अधिकांश होटल, दुकानें और बस डिपो यहीं पर स्थित हैं। लकड़ी और टीन से बने और ऊंचे चबूतरों पर निर्मित पुराने घर अभी भी केंद्रीय क्षेत्रा के आसपास पाए जाते हैं। यहां के दर्शनीय स्थानों में चैथम, पक्षियों की दुर्लभ प्रजातियों वाला चिड़ियाघर, सिप्पीघाट फार्म है जहां केंद्र सरकार का मसालों की खेती का अनुसंधान संस्थान है। वाइपर द्वीप है जहां एक पहाड़ी की चोटी पर जेल के खंडहर हैं। सेल्यूलर जेल की तीन शाखाएं, वाच टावर मौजूद है जहां लाइट एंड साउंड के कार्यक्रम के माध्यम से इसके इतिहास की झलक दिखलाई जाती है। समुद्र तट पर मध्य पोर्ट ब्लेयर के उत्तर-पूर्व में कॉर्बिन कोव और सुदूर उत्तर पूर्व में तटीय मधुबन क्षेत्रा है। निकटवर्ती रॉस द्वीप है जिसे अंग्रेजों ने विकसित किया था। माचिस की तीली का एक कारखाना हैड्डो में स्थित है और एक समुद्री इंजीनियरिंग कार्यशाला फीनिक्स खाड़ी में है। इस शहर में नौसैनिक अड्डे, तट रक्षक और वायु सेना के प्रतिष्ठानों की भी मौजूदगी है। कुल मिलाकर यह एक रोमांचक और आकर्षक पर्यटन स्थल बन चुका है। परंतु आज भी कुछ द्वीपों की यात्रा पर प्रतिबंध है जहां खूंखार आदिम जनजातियां निवास करती हैं।

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