यह चुनावी साल है। इस साल दुनिया के 70 से ज्यादा देशों में चुनाव होने जा रहे हैं। जिन देशों में चुनाव होने जा रहे हैं, उनमें से कई देश जी20 और जी7 जैसे दुनिया के कुछ शक्तिशाली समूहों का हिस्सा हैं, जिसका मतलब है कि इनके चुनाव नतीजों के भू-राजनीतिक प्रभाव भी पड़ेंगे और अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य भी प्रभावित हो सकता है। इस साल जितने देशों में चुनाव हो रहे हैं, अब यह स्थिति अगले 24 साल तक देखने को नहीं मिलेगी। वाशिंगटन स्थित थिंक टैंक अटलांटिक काउंसिल के अनुसार अब साल 2048 में फिर से ऐसा संयोग बन सकता है, जहां एक साल के भीतर इतने देशों में चुनाव होगा। 70 देशों में चुनाव होने के
बाद सियासी हालात किस तरफ रुख करेंगे, यह देखना जितना महत्वपूर्ण होगा, उतना ही महत्वपूर्ण यह भी है कि इस चुनावी समर में 4 अरब से अधिक लोग अपने मत का प्रयोग करेंगे, यानि दुनिया की कुल आबादी की 49 प्रतिशत आबादी अपने मताधिकार का प्रयोग करेगी। मतदाता ही लोकतांत्रिक प्रक्रिया की सबसे मजबूत रीढ़ होता है। उन्हें मतदान के जरिए अपनी ताकत का अहसास होना काफी महत्वपूर्ण होगा।
दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत में 18वीं लोकसभा के गठन के लिए चुनाव आयोग द्वारा चुनाव का कार्यक्रम घोषित कर दिया गया है। 543 सीटों के लिए यहां सात चरणों में चुनाव होना है, जो 19 अप्रैल से शुरू होगा और एक जून तक चलेगा। 19 अप्रैल को पहले चरण में 102 सीट, 26 अप्रैल को दूसरे चरण में 89 सीट, 7 मई को तीसरे चरण में 94 सीट, 13 मई को चौथे चरण में 96 सीट, 20 मई को पांचवें
चरण में 49 सीट, 25 मई को छठे चरण में 57 सीट और एक जून को सातवें आखिरी चरण 57 सीटों के लिए वोटिंग होगी और 4 जून को चुनाव परिणाम घोषित हो जाएगा, इसी दिन किस पार्टी की सरकार बन रही है, वह साफ हो जाएगा। इस चुनाव के लिए कुल पंजीकृत वोटरों की संख्या 96.8 करोड़ है, जिनमें 47.1
करोड़ महिलाएं और 49.7 करोड़ पुरुष वोटर हैं। लोकतांत्रिक व्यवस्था के नजरिए से भारत का चुनाव काफी अहम होता है, जिस तरह से भारत लोकतांत्रिक व्यवस्था दुनिया के लिए एक मिसाल है, ऐसे में यह देखना अत्यंत महत्वपूर्ण होगा कि इस बार जनता सत्तारुढ़ भाजपा की एक बार फिर वापसी कराती है या फिर महागठबंधन को सत्ता सौंपती है। उधर, अमेरिका में इस साल 5 नवंबर को राष्ट्रपति के चुनाव हैं। अमेरिका के लोग मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन की सेहत और कामकाज से नाखुश हैं, उनकी पॉपुलैरिटी रेटिंग ऑलटाइम लो 34 प्रतिशत हो चुकी है। इस चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप फिर से मैदान में हैं। उनकी पॉपुलैरिटी रेटिंग 54 प्रतिशत हो चुकी है। कुछ सर्वे में डोनाल्ड ट्रंप के आगामी प्राइमरी में रिपब्लिकन नामांकन जीतने की भविष्यवाणी की गई है, लेकिन इन दोनों नेताओं में से किसे सत्ता मिलती है, यह देखना पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि अमेरिका दुनिया का सबसे ताकतवर देश होने की वजह से दुनिया की सियासत में अपना खास रुतवा रखता है। उधर, ब्रिटेन में 2024 के आखिर तक या जनवरी 2025 तक चुनाव हो सकते हैं। मौजूदा पीएम ऋषि सुनक को विपक्ष से सख्त चुनौती मिलने की उम्मीद है, क्योंकि सुनक जनता के विरोध का सामना कर रहे हैं, हालांकि सुनक ने हाल में कहा था कि वो जनता को हर मामले में राहत देने की कोशिश करेंगे। कुछ सर्वे में सेंटर-लेफ्ट उम्मीदवार कीर स्टार्मर के नेतृत्व में विपक्षी लेबर पार्टी सत्तारूढ़
कंजर्वेटिव से आगे चल रही है, लेकिन देखने वाली बात होगी कि सुनक वापसी कर पाते हैं या फिर चुनाव में उनके खिलाफ जनता विरोधी लहर बरकरार रहती है। वेनेजुएला में भी इसी साल दिसंबर में चुनाव होने हैं, हालांकि अभी तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है। सर्वे में निवर्तमान निकोलस मादुरो को राष्ट्रपति चुनाव में बढ़त हासिल है, जबकि मुख्य विपक्षी उम्मीदवार मारिया कोरिना मचाडो को चुनाव में भाग लेने से प्रतिबंधित
कर दिया गया है। मारिया कोरिना मचाडो पर मादुरों की सरकार पर अमेरिकी प्रतिबंधों का समर्थन करने और पूर्व विपक्षी नेता जुआन गुइदो का समर्थन करने जैसे कथित अपराधों का आरोप है, ऐसे में यहां भी परिवर्तन का माहौल बनते दिख रहा है। इसी साल मई में दक्षिण अफ्रीका में भी चुनाव होंगे, ये चुनाव 1994 में रंगभेद की समाप्ति के बाद सबसे महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं। दक्षिण अफ्रीका के इस महाद्वीप में अल्जीरिया, बोत्सवाना, चाड, कोमोरोस, घाना, मॉरिटानिया, मॉरीशस मोजाम्बिक, नामीबिया, रवांडा, सेनेगल, सोमालीलैंड, दक्षिण सूडान, ट्यूनीशिया और टोगो में भी चुनाव होने हैं। इस साल इस महाद्वीप में सबसे अधिक चुनाव होंगे। उधर, इस साल यूरोप के भी कई देशों में सत्ता के लिए उठापटक देखने को मिलेगी। इस साल यूरोप में 10 से ज्यादा संसदीय और राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं, जिन देशों में चुनाव होने हैं, उनमें- फिनलैंड, बेलारूस, पुर्तगाल, यूक्रेन, स्लोवाकिया, लिथुआनिया, आइसलैंड, बेल्जियम, यूरोपीय संसद, क्रोएशिया, ऑस्ट्रिया, जॉर्जिया, मोल्दोवा और रोमानिया शामिल हैं।फिलहाल, जिन देशों में चुनाव हो चुके
हैं, उनमें सबसे प्रमुख देश रुस है, जहां एक बार फिर व्लादिमीर पुतिन ने वापसी की है। रुस में 17 मार्च को चुनाव हुए थे। पुतिन पांचवी बार राष्ट्रपति बने हैं। व्लादिमीर पुतिन को पहली बार 1999 के आखिरी दिन (31 दिसंबर) को बोरिस येल्तसिन ने राष्ट्रपति का पद सौंपा था। उसके बाद से वह लगातार राष्ट्रपति बनते आ रहे हैं। चुनाव में पुतिन को रूस में 80 प्रतिशत से ज्यादा की रेटिंग हासिल थी। विपक्षी राजनेताओं की आशंका के अनुसार यहां चुनाव महज औपचारिकता रही और उम्मीद के मुताबिक ही पुतिन फिर राष्ट्रपति चुने गए। युक्रेन के साथ लंबे समय से चल रहे युद्ध में जनता विरोध लहर के बावजूद पुतिन का फिर से सत्ता हासिल करना उनके प्रभुत्व का दर्शाता है। अन्य जिन देशों में चुनाव हो चुके हैं, उनमें भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान और बांग्लादेश भी शामिल हैं। पाकिस्तान में जहां पीएमएल-एन शहबाज शरीफ के साथ गठबंधन में सरकार